
ध्वज गीत
सबसे प्यारा सबसे न्यारा,
कतिया ध्वज महान है।
संत भूरा रंग है भूरा,
तलवारों की शान है।।
कतिया माते सूत है काते,
चरखे का गुणगान है।
किताब से किस्मत संवारो,
यह विद्या का ही दान है।
भगवा रंग हमें सिखलाता,
अध्यात्म का सोपान है।।
सूर्य किरणें छटा सुनहरी,
जाने जग जहान है।
जीव चराचर जगत का करते,
प्रभु जी जन कल्याण है।।
रतनारा है रंग शौर्य का,
क्षत्रीय की पहचान है।।
वहीं लाल लक्ष्मी स्वरूपा,
बाली श्रम किसान है।
नवरंगी है। ध्वजा हमारी,
मिलता मान-सम्मान। है।।
नव रंगों ने छटा बिखेरी,
गरिमा इसकी महान। है।।
अनंत चौदस में जन्मा,
सारे। गुण की खान है।
फहर गया उन्मुक्त गगन में,
धन्य। हुआ। आसमान है।।
पूर्वजों का प्यार समाहित,
पुण्य। भरा वरदान है।।
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